आज की इस पोस्ट का विषय रविंद्रनाथ टैगोर की जानकारी और जीवन परिचय के विषय है अगर आप रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय, (Rabindranath Tagore Information In Hindi) रविंद्र नाथ टैगोर की इंफॉर्मेशन इन हिंदी में चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।
रवींद्रनाथ टैगोर की जानकारी और जीवन परिचय Rabindranath Tagore Information In Hindi
रवींद्रनाथ टैगोर कौन थे?
रबीन्द्रनाथ ठाकुर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं।
रवींद्रनाथ टैगोर की जानकारी | Rabindranath Tagore Information In Hindi |
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नाम | रबीन्द्रनाथ ठाकुर/ रवींद्रनाथ टैगोर |
जन्म की तारीख और समय | 7 मई 1861, कोलकाता |
मृत्यु की जगह और तारीख | 7 अगस्त 1941, जोड़ासाँको ठाकुर बारी, कोलकाता |
पत्नी | मृणालिनी देवी (विवा. 1883–1902) |
बच्चे | रथिन्द्रनाथ टैगोर, शमिंद्रनाथ टैगोर, माधुरीलता टैगोर, मीरा टैगोर, रेनुका टैगोर |
इनाम | नोबेल पुरस्कार – साहित्य |
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था,एक बंगाली विद्वान थे, जिन्होंने कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और चित्रकार के रूप में काम किया।
उन्होंने 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ बंगाली साहित्य और संगीत के साथ-साथ भारतीय कला को नया रूप दिया। गीतांजलि की “बहुत ही संवेदनशील ताजा और सुंदर” कविता के लेखक, वह 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय भारतीय और पहले गीतकार बने।
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टैगोर के काव्य गीतों को आध्यात्मिक और मधुर माना जाता था, हालाँकि, उनका “सुंदर गद्य और जादुई कविता” बंगाल के बाहर काफी हद तक प्रसिद्ध है वह रॉयल एशियाटिक सोसाइटी के साथी थे। टैगोर को “बंगाल कवि” कहा जाता था है।
कलकत्ता के एक बंगाली ब्राह्मण, बर्दवान जिले और जेसोर में पुश्तैनी कुलीन जड़ों के साथ, टैगोर ने आठ साल की उम्र में कविता लिखी थी। सोलह वर्ष की आयु में, उन्होंने छद्म नाम भानुसिंह के तहत अपनी पहली महत्वपूर्ण कविताएँ जारी कीं।
महात्मा गांधी ने टैगोर को गुरुदेव की उपाधि से सम्मानित किया था। टैगोर जी ने हिंदी के उपन्यास नाटक और कहानियों कविताओं के लिए ही भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में जाने जाते हैं, कुछ लोग का मानना है श्रीलंका का भी राष्ट्रगान इन्होंने ही श्रीलंका माथा लिखने में सहयोग किया था।
रविंद्रनाथ टैगोर के पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर उनकी मां का नाम शारदा देवी था, उनके पिता टैगोर नाथ एक धर्म सुधारक थे और तत्व बौद्धिक समाज के संस्थापक थे, जो बाद में ब्रह्म समाज में मिल गया रविंद्र नाथ टैगोर का परिवार कोलकाता के सभी प्रभावशाली परिवारों में से एक था लगभग 300 साल पुराना है, उनके परिवार के सदस्य बिज़नस समाज सुधारक साहित्य कला और संगीत क्षेत्र में बहुत योगदान दिया।
बचपन में उनके नौकरों ने उन्हें पाला क्योंकि उनकी मां बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था और उनके पिता काफी व्यस्त रहते थे और टैगोर ने पढ़ाई करने के लिए स्कूल नहीं गए और घर पर ही रहकर शिक्षा आसित की क्योंकि पढ़ाई के अलावा जूडो रेसलिंग भी सीखी थी।
रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं
- गीतांजलि
- पूरबी प्रवाहिन
- शिशु भोलानाथ
- महुआ
- वनवाणी
- परिशेष
- पुनश्च
- वीथिका शेषलेखा
- चोखेरबाली
- कणिका
- नैवेद्य मायेर खेला
- क्षणिका
- गीतिमाल्य
- कथा ओ कहानी
रविंद्र नाथ टैगोर ने 16 साल की उम्र में ही पहली कहानी( वनवाणी) और 20 साल की उम्र में पहला नाटक (बाल्मीकि प्रतिभा) लिखा 1890 में उन्होंने सबसे प्रसिद्ध नाटक (विसर्जन) लिखा रविंद्र नाथ के पिता टैगोर को वकील बनाना चाहते थे जिसकी पढ़ाई के लिए इन्हें इंग्लैंड गए और कुछ महीनों के बाद पढ़ाई छोड़ दी और खुद से ही साहित्य की पढ़ाई करने लगे।
उन्होंने कई लेखक के उपन्यास और नाटक पढ़ें 1880 में बिना डिग्री के बंगाल वापस आ गए उसके बाद उन्हें अपनी कई कविताएं कहानी उपन्यास प्रकाशित की जो बंगाल में काफी प्रसिद्ध होने लगी बाद में इनके अंग्रेजी के में भी अनुवाद किया पश्चिम देशों में भी प्रसिद्ध होने लगे 1913 में टैगोर को अपनी पुस्तक गीतांजलि के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया गीतांजलि कई कविताओं को संबोधित करके लिखी गई एक पुस्तक है।
1915 में ब्रिटिश सरकार ने उनके काम से प्रभावित होकर उन्हें (नायडू) की उपाधि दी यह ब्रिटिश की सबसे बड़ी सम्मानित उपाधि है जो उनके सहित और कौशल के कारण मिले थी, भारत में ही नहीं दुनिया के कई देशों में प्रसिद्ध थे हालांकि उन्हें यह पुरस्कार 1919 में वापस कर दिया क्योंकि जलिया वाले बाग हत्याकांड से वह बहुत प्रभावित और दुखी हो गए थे।
वे अंग्रेजो की सरकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं हो रही थी, वह कहते थे कि भारत ब्रिटिश राज्य का सामाजिक बीमारी का राजनीतिक लक्षण है। 1921 में ग्रामीण पूरव निर्माण संस्था शुरू की जिसका नाम बदल के (श्री निकेतन) रख दिया गया था, इस संस्था का लक्ष्य गरीबों की सहायता करने का था, 1930 के दशक में वह जाति व्यवस्था का विरोध करते हुए दलितों को हीरो बना कर कई कविताएं नाटक लिखे।
रवींद्रनाथ टैगोर की जानकारी और जीवन परिचय Rabindranath Tagore Information In Hindi
1971 में बंगाल का राष्ट्रीय गान बनाया गया जिसे 1950 में धर्म के बटवारे के विरोध करने के लिए लिखा गया इस बंटवारे के टैगोर की आजादी की लड़ाई को रोकने के लिए अंग्रेज द्वारा एक षड्यंत्र मानते थे। भारत का राष्ट्रीय गान जन गण मन यह भारत भाग्य विधाता से लिया गया है, जिसे 1911 में कांग्रेस की कोलकाता की मीटिंग में गाया गया था।
60 वर्ष की आयु में उन्हें चित्रकारी और पेंटिंग करना शुरू किये थे, जो विदेश में भी काफी प्रसिद्ध हुईं थी। 1937 मे अचानक बेहोश हुए और उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई उसके बाद से ही जीवन के अंतिम 4 या 5 सालों में काफी बीमार रहने लगे थे, और तकलीफ मे थे, 7 अगस्त 1941 में कोलकाता में रविंद्र नाथ टैगोर जी ने आखिरी सांस लीथी।
दोस्तों उन्होंने अपने जीवन में 2000 से भी ज्यादा गाने लिखे थे जिन्हें रविंद्र संगीत कहा जाता था, हर व्यक्ति खास संपत्ति और प्रेम का हकदार है, उनकी मन सुंदरता कोई अंत नहीं है ऐसे महान साहित्यकार सदियों में कई एक बार जन्म लेते हैं, उन्हें पराधीन भारत का नाम पूरी दुनिया में फैला दिया।
रविंद्र नाथ टैगोर एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने अपने जीवन में समाज सुधार के कई काम किए उनके जीवन से हमें भी कुछ सीखना चाहिए, रविंद्र नाथ टैगोर ने भारत के राष्ट्रगान की रचना की थी साथ ही बंगाल का राष्ट्रगान भी लिखा था।